Saturday, July 30, 2011

हे भगवान् मुझे माफ़ मत करना

आज मैंने अपने पाँव में कुल्हाड़ी मार ली. आज मै अपराधबोध से ग्रसित हूँ. मेरा मन, मेरी आत्मा, मेरा दिल मुझे धिक्कार रहे हैं. धिक्कारें भी क्यों न, मैंने काम ही ऐसा किया है. मै इतना दुखी हूँ की मैंने अपने इस कृत्य को लिखकर आप सभी के सामने रखने का निर्णय किया है ताकि आप भी मुझे उसी तरह धिक्कारें जिस तरह मेरा अंतर्मन मुझे कोस रहा है. आज मैंने जो काम किया है, उसे मै आगे करने से कैसे बचूं ये तय कीजिये आप और बताइए. ताकि फिर ऐसा न हो. आज मैंने अपनी चार साल की फूल सी बेटी को बुरी तरह पीट दिया. वो अपनी जिद पे अड़ी थी. अरे वो तो जिद करेगी ही, वो बच्चा है. ये बात मुझे क्यों नहीं समझ में आई, मै तो बड़ा था. उस नन्ही सी परी के बालमन पर क्या गुजरी होगी उस वक्त. वो कितनी डर गयी होगी. मेरे प्रति उसके अंतर्मन में कैसा घृणा का भाव बैठ गया होगा. क्या वो मेरे इस घिनौने रूप को कभी भूल पायेगी. मै अपने इस कृत्य से बहुत दुखी हूँ.