

आदरणीय दिग्विजय जी ने हमारी आंखे खोली की बीजेपी के तीन प्लान थे ए, बी और सी. हो सकता है की टीम अन्ना जैसी धुर देशद्रोही पश्चिमपंथियों (महाराष्ट्र में केंद्र के कारण) से निपटने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी से एक कदम आगे बढ़ाते हुए प्लान तैयार किये हो. हमें उम्मीद करनी चाहिए की मीडिया गुरु आदरणीय दिग्विजय जी आनेवाले दिनों में देश की जनता के सामने इसका खुलासा कहीं न कहीं की यात्रा के दौरान करेंगे. कहीं ऐसा तो नहीं की प्लान ए - केजरीवाल, प्लान बी- किरण बेदी, प्लान सी-- प्रशांत भूषण, प्लान डी- कुमार विश्वास आदि. क्योकि सरकार २०१४ तक अपनी छवि साफ़ नहीं करेगी तो व्यवस्था कैसे बनाए रखेगी. जैसे रेल यात्रा में रिजर्वेशन का महात्म है...उसी तरह राजनीति में सत्ता का महत्व है. यानि अंतर सब कुछ और कुछ भी नहीं के बीच का है. सरकार के मुलाजिम पूरी निष्ठा के साथ जुटे हैं, टीम अन्ना को उलझाने में. टीम अन्ना को राजनीति नहीं आती इसलिए वो बचाव की मुद्रा में है. टीम अन्ना को ये भी गवारा नहीं की वो किसी का साथ ही ले ले. इन अक्ल के दुश्मनों को क्या कहा जाए, अकेले निकले हैं भाड़ फोड़ने. अन्ना परेशान हैं की बेवकूफों को कैसे कंट्रोल करें. अन्ना का मीडिया मैनेजमेंट भी फेल हो रहा है क्योकि चौथा खम्भा अपनी स्वाभाविक प्रकृति के अनुसार सत्ता की ओर झुक गया है. आखिर सब अन्नमय होकर तो नहीं चल सकता न. अन्ना से मीडिया के बड़े पेट को हासिल ही क्या होगा. अन्ना दौड़ेंगे तो उन्हें दौड़ता हुआ दिखा कर अपना मीडिया धरम भी निभा लेगा. लब्बोलुआब यही है की आनेवाले दिनों में हम लोकतंत्र की जीत देखेंगे और टीम अन्ना रूपी असुरो का हमारी जागरूक जनता द्वारा चुनी गयी विश्वस्तरीय टीम यूपीए द्वारा नाश होता हुआ देखेंगे. हमारी जनता की जीत उसी दिन होगी जब हम मनीष तिवारी की जीत देखें, मनमोहन को हँसता मुस्कुराता देखें, दिग्विजय की विजयी पताका देखें और इस 'ईमानदार' व्यवस्था को पुष्पित- पल्लवित देखें, जहाँ बेईमानी भी ईमानदारी की गलबहियां करती है ऐसी गंगा-जमुनी तहजीब को विश्व के सामने मिसाल बना सकें आइये नए भारत के निर्माण के लिए यूपीए की जीत की कामना करें. आखिर आज तक हमारा भारत महान रहा की नहीं. तब तो अन्ना नहीं थे, ऐसी कौन सी कमी आ गयी इस देश की महानता में की टीम अन्ना खड़ी हो गयी सारी शांतिपूर्ण व्यवस्था को छिन्न भिन्न करने में.