Thursday, March 31, 2011

न भूतो न भविष्यति

सचमुच ऐसा नज़ारा अपने जीवन में मैंने नहीं देखा था। ये वो पल था जिसे हम अपने नाती पोतों को बताएँगे तो वे विस्मय भरी नज़रों से हमें देखेंगे। लेकिन ३० मार्च २०११ को विश्व कप में पकिस्तान पर भारत की जीत के बाद जो समा बंधा उसकी कल्पना भी मैंने कभी नहीं की थी। सड़कों पे उतारे हुजूम के जुनून देखकर सन ८३ में विश्व कप जीतने पर हुए जश्न की कल्पना ही की जा सकती है। आपने कैसा महसूस किया। क्या भारत की जीत पे आपका रोम रोम भी पुलकित हुआ, क्या ऐसा आपने पहले कभी महसूस किया था। अगर हाँ तो आइये हम फ़ाइनल में टीम इण्डिया की जीत की कामना करें।

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