Tuesday, July 2, 2013

फितरत

ये तस्वीर अपने आप ही सब कुछ बयान कर दे रही है. ये तस्वीर इस बात का प्रमाण है की धरती से अब मानवता किताबों कहानियों में जा दुबकी है. वास्तविकता से अब उसका कुछ लेना देना नहीं है. देखिये लोग इस घायल को कैसे देख रहे हैं मानो यह आज का सबसे बड़ा तमाशा यही है. जम्मू के अखनूर में एक स्कूल बस के खाई में गिरने के से घायल हुए लोगों में ये शिक्षिका भी शामिल थी. जम्मू के सरकारी अस्पताल में इस घायल को न तो कोई नर्स मिली न वार्ड बॉय न स्कूल का कोई सदस्य और न आम आदमी ही इसकी मदद को आगे आया. डॉक्टर ड्रिप लगा कर बोतल इस महिला के दूसरे हाथ में थमा गये. आसपास बैठे लोग इस महिला की कराह सुनते हुए इसे बोतल पकडे निहारते रहे. क्या इनमे से किसी को इसकी मदद के लिए आगे नहीं आना चाहिए था. लेकिन एक दूसरे के इन्तजार में सब हाथ बांधे देखते रहे. कुछ तो इसलिए नहीं उठे होंगे की कहीं उनकी कुर्सी पे कोई और न आके बैठ जाये. अब इस शिक्षिका की मनः स्थिति पे गौर करें. शिक्षिका से यही अपेक्षा लोग करते होंगे कि ये बच्चों को मानवता का पाठ पढ़ाएगी लेकिन इस वाकये के बाद क्या ये उसी मनः स्थिति से अपने काम को अंजाम दे पाएगी. शायद नहीं. 

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